दिल चाहता है |
इस तीज पर जवां होने को दिल चाहता है ||
मैं सीखूं कंप्यूटर ,
शहर में चलाऊं मोटर ,
दिल चाहता है |
इस तीज पर जवां होने को दिल चाहता है ||
मैं खोलूँ इन्टरनेट ,
करूँ किसी से चैट ,
ज्वाइन करूँ मैं ऑरकुट ,
मुझे भी मिले कोई चिरकुट
एक जेब में हो यूरो ,एक जेब में डॉलर ,
बिलगेट्स जैसा होने को दिल चाहता है|
जवां होने को दिल चाहता है ||
आपको ये कविता सुनाऊं ,
ओर ये गुनगुनाऊं ,
अभी तो मैं जवानहूँ |
अभी तो मैं जवान हूँ ||
मेरे पति हर साल विवाह की वर्षगाँठ मानाने किसी हिल स्टेशन पर जाते है |मेरा बेटा रात को आया सुबह हम नैनीताल को चल दिए |रास्ते में सरियाताल नामक झरना पड़ा जहाँ एक पहाड़ी महिला की चाय की दुकान थी जिस पर केवल पकोड़ी,चाय,रुस्क मिलते थे |मेरे बेटे ने कहा -आप दोनों घूमकर आओ मै अभी आता हूँ |उसने महिला से कहा आप मुझे थोड़ा सा मिल्क पावडर दे दीजिये रुस्क दे दीजिये |उसने रुस्क पर दूध का पेस्ट लगाकर केक तैयार किया अपनी जेब से निकालकर टौफीस ,मिंट की गोली से सजा दिया |मीठी सौंफ से लिखा -फॉर माँ एंड पा |हम दोनों लौटकर आये तो देखा टेबल पर चाय ,पकौड़ी ,केक सजा था |उन ख़ुशी के पलों का मै वर्णन नहीं कर सकती | वह एक अनोखा केक था|