हर मुखड़े की शान है ,
ये ही रखती एक दूजे का मान ,
इनमे ही सपने पलते हैं ,
आँखों के रस्ते दिल में उतरते हैं ,
समाई है इनमे दुनिया सारी,
कभी ये काली ,कभी कज़रारी ,
झील सी गहरी ,नीली .नीली ,
लगाती कितनी स्वप्नीली ,
आँखे होती कवि की कल्पना,
इनमे बसा है कोई अपना ,
खुसी में जब आंसू आये ,
गाल पर ढुलककर मोती बन जाए ,
इनमे बसे न कोई लाचारी,
कोई आँख न हो दुखियारी,
इनकी ज्योति अक्षुण हो जाये ,
कुछ ऐसा कर दिखाए ,
ज्योति से ज्योति जलाएं ,
इन्हें अमर कर जाएँ ,
मिलकर ये प्रण उठायें |
मरने के बाद 'नेत्रदान'कर जाएँ ||